शनिवार, 30 अप्रैल 2011

अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल का अंतिम पत्र

शहीद होने से एक दिन पूर्व रामप्रसाद बिस्मिल ने अपने एक मित्र को निम्न पत्र लिखा -

"19 तारीख को जो कुछ होगा मैं उसके लिए सहर्ष तैयार हूँ।
आत्मा अमर है जो मनुष्य की तरह वस्त्र धारण किया करती है।"

यदि देश के हित मरना पड़े, मुझको सहस्रो बार भी।
तो भी न मैं इस कष्ट को, निज ध्यान में लाऊं कभी।।

हे ईश ! भारतवर्ष में,    शतवार   मेरा  जन्म हो।
कारण सदा ही मृत्यु का, देशीय कारक कर्म हो।।

मरते हैं बिस्मिल, रोशन, लाहिड़ी, अशफाक अत्याचार से।
होंगे पैदा सैंकड़ों, उनके रूधिर की धार से।।
उनके प्रबल उद्योग से, उद्धार होगा देश का।
तब नाश होगा सर्वदा, दुख शोक के लव लेश का।।

सब से मेरा नमस्कार कहिए,

तुम्हारा
बिस्मिल"