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बुधवार, 31 जनवरी 2018

नागपुर-वर्धा यात्रा

नागपुर और वर्धा की यात्रा दिल्ली से 25 जनवरी, 2018 को प्रारंभ की गई और 29 जनवरी, 2018 को समापन हुआ। यात्रा बहुत सुखद रही। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा, महात्मा गांधी आश्रम सेवाग्राम, विनोबा भावे आश्रम पवनार व नापुर में उमिया धाम, दीक्षा भूमि, अंबाझरी लेक देखने का अवसर मिला।






















मंगलवार, 30 जनवरी 2018

विनोबा भावे आश्रम, पवनार, वर्धा

गौतम बजाज, इन्होंने करीब तीस साल विनोबा भावे के साथ गुजारे। आज विनोबा भावे के पवनार आश्रम के प्रमुख हैं। 






विनोबा भावे का समाधि स्थल
पवनार आश्रम की मार्गदर्शिका देवी, इन्होंने भी एक लंबा समय विनोवा भावे के साथ गुजारा।


सेवाग्राम म्यूजियम, वर्धा












रविवार, 28 जनवरी 2018

बापू कुटी, वर्धा

महात्मा गाधी 1936 में वर्धा के बापू कुटी में रहने आए थे। उस समय के उद्योगपति जमनालाल बजाज ने महात्मा गांधी की इच्छानुसार यह कुटिया बनवायी थी।  महात्मा गांधी का आग्रह था कि इसको बनाने में 100 रुपये से ज्यादा  खर्च न किया जाए, साथ ही जो व्यक्ति निर्माण कार्य में लगें वे भी स्थानीय होने चाहिए। महात्मा गांधी से मिलने के लिए उस समय के सभी बड़े नेता यहां आते थे, जिनमें सरदार बल्लभ भाई पटेल, खान अब्बदुल गफ्फार खान, जवाहर लाल नेहरु, जय प्रकाश नारायण, राजेन्द्र प्रसाद, सीएफ एंड्रूज, अगाथा हेरीसन, कार्थ हीथ, हेनरी पोलक, सुभाषचंद्र बोस, बीआर अंबेडकर आदि। 25 अगस्त, 1946 तक महात्मा गांधी यहीं रहे। इसके बाद वे दिल्ली चले गए। फोटो - क्रांति आनंद