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शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

चीन कर सकता है 2014 तक भारत पर हमला


भारतीय रक्षा विशेषज्ञों की यह आशंका सच भी साबित हो सकती है। चीन ने इसके संकेत दिए हैं। एक बड़ी ताकत बनते भारत और अमेरिका के साथ उसकी नजदीकियां चीन को परेशान कर रही हैं। यही वजह है कि चीन भारत पर आने वाले तीन सालों में सीधा हमला कर सकता है।
भारतीय सेना और रक्षा से जुड़े विशेषज्ञ इस बात की आशंका जताते रहे हैं कि 2014 में चीन भारत पर हमला कर सकता है। भारतीय जानकारों की आशंका की पुष्टि चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की पत्रिका 'कीशी' के ताज़ा संस्करण में छपे लेख ने कर दी है। लेख में भारत के साथ सीमा विवाद को निपटाने और शांति स्थापित करने के लिए जंग की वकालत की गई है।
भारतीय सेना और रक्षा पर आधारित पत्रिका 'इंडियन मिलिट्री रिव्यू' (आईएमआर) में छपे एक लेख में भारतीय सेना के मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी ने दावा किया है कि भारत की बढ़ती आर्थिक हैसियत और अमेरिका से नजदीकी इस जंग की वजह बनेगा। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के इस संभावित हमले में अमेरिका दखल नहीं देगा क्योंकि इराक में लड़ी गई जंग में अमेरिका को काफी नुकसान पहुंचा था और अफगानिस्तान में भी उसकी फौज को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में वह एक और जंग में कूदने की हिम्मत नहीं दिखाएगा। मतलब साफ है कि अब भारत और चीन के बीच सीधी जंग की आशंका बढ़ती जा रही है। जीडी बख्शी का कहना है कि चीन से संभावित युद्ध में ऑपरेशन का केंद्र जम्मू-कश्मीर होगा, जहां पूर्व और पश्चिमी छोर पर पाकिस्तान के साथ मिलकर हमला किया जा सकता है। 
इंडियन मिलिट्री रिव्यू के संपादक मेजर जनरल (रिटायर्ड) आर.के. अरोड़ा का कहना है कि चीन की सेना पीएलए तिब्बत में अपना ढांचा विकसित कर रहा है, जो भारत के लिए चिंता की वजह है। अरोड़ा का कहना है, 'लगातार बढ़ते रेल नेटवर्क, सड़कों का जाल, तेल पाइपलाइन और ब्रह्मपुत्र (चीन में सांगपो कहते हैं) नदी के दक्षिण में रणनीतिक तौर पर एक बड़े बेस की स्थापना करके चीन बहुत कम समय में ही आक्रामक अभियान छेड़ सकता है। ऐसी तैयारी का सामना करना हमारा लिए बहुत मुश्किल होगा।'      
चीन के विशेषज्ञ आरके अरोड़ा का कहना है कि 1962 को दोहराना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि हमारी तैयारी पहले से बहुत बेहतर है। लेकिन अगर चीन और भारत के बीच हथियारों का फर्क बढ़ेगा तो हमारी सेना को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

जंग ही रास्‍ता
'कीशी' ने अपने ताज़ा लेख में शांति स्थापित करने और सीमा विवाद सुलझाने के लिए जंग को ही अंतिम रास्ता बताया है। इसके मुताबिक आधुनिक चीन के इतिहास में (1949 से) कभी भी घुटने टेकने से शांति नहीं आई है, यह सिर्फ जंग के जरिए आई है। पत्रिका के मुताबिक राष्ट्रीय हितों की हिफाजत सिर्फ बातचीत से नहीं, बल्कि लड़ाई से होती है। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच लंबे से करीब साढ़े तीन हजार किलोमीटर की लंबाई में फैली सीमा को लेकर विवाद होता रहा है।
कीशी के लेख में यह भी लिखा है कि अमेरिका भारत समेत उसके कई पडो़सी देशों के साथ मिलकर उसे घेर रहा है। इसमें अमेरिका पर 'एंटी चाइना एलायंस' बनाने का आरोप लगाया गया है। चीन की विदेश नीति पर बेबाक राय देने के लिए जानी जाने वाली 'कीशी' ने चीन की आर्थिक हैसियत के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए सात कदम उठाने की रणनीति का सुझाव दिया है ताकि दक्षिण एशिया में अमेरिका के बढ़ते असर को कम किया जा सके। इसमें साफ कहा गया है कि  अमेरिका से मिल रही चुनौती के जवाब में चीन को तैयार होना चाहिए।
कम्युनिस्ट पत्रिका में कहा गया है कि अमेरिका चीन के पड़ोसी देशों-जापान, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया, कोरिया और भारत के साथ मिलकर उसके खिलाफ मोर्चा खोल चुका है। कीशी पत्रिका के मुताबिक इन देशों का या तो चीन के साथ युद्ध हो चुका है या हितों को लेकर टकराव रहा है।

खतरनाक इरादे
भारतीय रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन द्वारा उठाए जा रहे कुछ कदमों से उसके खतरनाक इरादे जाहिर हो जाते हैं। इनमें तिब्बत में रणनीतिक रूप से अहम विकास के काम में तेजी, चीन की आने-जाने की क्षमता में बढ़ोतरी, कराकोरम हाई वे का चौड़ा किया जाना, गिलगिट में चीनी सैनिकों की तैनाती और गिलगिट की पहाड़ियों में गुफाएं और सुरंगों का निर्माण ताकि वहां डोंग फेंग 21 डी लड़ाकू विमान की तैनाती हो सके। तिब्बत में लड़ने के लिए सैन्य अभ्यास में तेजी जैसे कदम शामिल हैं।

थंडर ड्रैगन 2014
भारतीय रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक चीन 'थंडर ड्रैगन 2014' नाम के ऑपरेशन की योजना बना रहा है। इसमें पाकिस्तान के साथ मिलकर वह भारत पर दोतरफा हमला करेगा। जानकारों के मुताबिक इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान की सेना 'पीपल्स लिबरेशन आर्मी' (पीएलए) तिब्बत के लोखा इलाके में आक्रामक सैन्य अभ्यास करेगी ताकि भारतीयों को धोखे में रखा जाए। इसके साथ ही मुंबई पर २००८ में हुए हमले की तर्ज पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों द्वारा हमला किया जाएगा। इस ऑपरेशन के ब्लू प्रिंट के मुताबिक आम भारतीयों में उपजे गुस्से की वजह से भारत पाक के कब्जे वाले कश्मीर में सेना के जरिए हमला करेगी, जिसके बाद पाकिस्तान भारत के प्रमुख शहरों पर जवाबी हमले करेगा। जम्मू-कश्मीर में स्थानीय स्तर पर सैन्य हमलों के बीच हालात गंभीर होते ही सूबे के मैदानी इलाकों में सैनिकों को उतारा जाएगा। उधर, पीएलए तिब्बत में अपने रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों को सक्रिय कर देगी।  ऑपरेशन 'थंडर ड्रैगन 2014' के मुताबिक पाकिस्तान के खिलाफ भारत के हमले के तीन हफ्तों के भीतर चीन की सेना लद्दाख में अपना अभियान शुरू कर देगी।

ज़्यादा ताकतवर है चीन 
चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी फौज है। इसके बाद भारत का नंबर आता है। चीन ने हाल ही में अमेरिका की टक्कर के आधुनिक हथियार और लड़ाकू विमान विकसित करने के दावे किए हैं। परमाणु हथियारों की तुलना में भी वह भारत से कहीं आगे है। एक अनुमान के मुताबिक चीन के पास करीब १९० परमाणु बम हैं।

तेजी से हथियार जुटा रहा है पाकिस्तान
अमेरिका के मशहूर अखबार 'वॉशिंगटन पोस्ट' में पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने पिछले कुछ सालों में परमाणु हथियारों का जखीरा दोगुना कर लिया है अब इनकी संख्या 100 पार कर चुकी है। पाकिस्तान ने यूरेनियम और प्लूटोनियम उत्पादन में खासी तेजी लाते हुए नए परमाणु हथियार विकसित किए हैं। 'वॉशिंगटन पोस्ट' ने गैर सरकारी जानकारों के हवाले से यह रिपोर्ट प्रकाशित की है।  
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संस्थान के प्रमुख डेविड अलब्राइट के मुताबिक पाकिस्तान हथियारों के लिए यूरेनियम दो स्थानों पर तैयार कर रहा है। इस्लामाबाद ने प्लूटोनियम का उत्पादन भी काफी बढ़ा दिया है, जिसकी मदद से वह हल्के लेकिन उतनी ही मारक क्षमता के परमाणु बनाने में सक्षम है। पाकिस्तान ने हाल ही में नई मिसाइल, शाहीन-2 विकसित की है, जिसकी मारक क्षमता 1500 मील है। इसे वह जल्दी ही तैनात करने वाला है। वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार कई सालों तक भारत और पाकिस्तान परमाणु क्षमता में लगभग बराबर थे, लेकिन अब पाकिस्तान निश्चित ही आगे निकल गया है। बताया जाता है कि भारत के पास करीब 50 से 70 परमाणु हथियार हैं। भारत की नीति परमाणु ताकत बढ़ाने के बजाय परमाणु ऊर्जा का इस्‍तेमाल जनता के हितों के लिए करने की है।

1962
की जंग
चीन-भारत के बीच 1962 में हुई जंग के बाद चीन ने कश्मीर का हिस्सा रहे अक्साई चिन के इलाके पर कब्जा कर लिया। इस लड़ाई से चीन और पाकिस्तान नजदीक आए। दोस्ती को मजबूत करने के लिए पाकिस्तान ने गिलगिट बालटिस्तान के 2200 वर्ग मील के  इलाके को चीन को सौंप दिया था।   
 
आशीष कुमार