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मंगलवार, 30 जनवरी 2018

विनोबा भावे आश्रम, पवनार, वर्धा

गौतम बजाज, इन्होंने करीब तीस साल विनोबा भावे के साथ गुजारे। आज विनोबा भावे के पवनार आश्रम के प्रमुख हैं। 






विनोबा भावे का समाधि स्थल
पवनार आश्रम की मार्गदर्शिका देवी, इन्होंने भी एक लंबा समय विनोवा भावे के साथ गुजारा।


रविवार, 28 जनवरी 2018

दिल्ली का कोड 011 महात्मा गांधी ने दिया

दिल्ली का वर्तमान टेलीफोन एसटीडी कोड महात्मा गांधी ने दिया था। यह चौका सकता है। लेकिन यह सच है। महात्मा गांधी महाराष्ट्र के वर्धा जिले के पास सेवाग्राम में 1936 से लेकर 1946 तक रहे थे। वायसराय लिनलिथगो ने उनसे सीधे, कभी भी, किसी भी प्रकार की बात करने के लिए सेवाग्राम में हॉटलाइन की व्यवस्था की थी, जिसका नंबर 11 था। आगे चलकर महात्मा गांधी के टेलीफोन नंबर से ही दिल्ली का एसटीडी कोड 011 पड़ा। फोटो - क्रांति आनंद

Telephone of Mahtma Gandhi

Hotline between Viceroy and Mahtma gandhi

बापू कुटी, वर्धा

महात्मा गाधी 1936 में वर्धा के बापू कुटी में रहने आए थे। उस समय के उद्योगपति जमनालाल बजाज ने महात्मा गांधी की इच्छानुसार यह कुटिया बनवायी थी।  महात्मा गांधी का आग्रह था कि इसको बनाने में 100 रुपये से ज्यादा  खर्च न किया जाए, साथ ही जो व्यक्ति निर्माण कार्य में लगें वे भी स्थानीय होने चाहिए। महात्मा गांधी से मिलने के लिए उस समय के सभी बड़े नेता यहां आते थे, जिनमें सरदार बल्लभ भाई पटेल, खान अब्बदुल गफ्फार खान, जवाहर लाल नेहरु, जय प्रकाश नारायण, राजेन्द्र प्रसाद, सीएफ एंड्रूज, अगाथा हेरीसन, कार्थ हीथ, हेनरी पोलक, सुभाषचंद्र बोस, बीआर अंबेडकर आदि। 25 अगस्त, 1946 तक महात्मा गांधी यहीं रहे। इसके बाद वे दिल्ली चले गए। फोटो - क्रांति आनंद