ब्रह्म नाद
वहां दिव्य संगीत बज रहा था।
उस संगीत में सभी ध्वनि विलीन थीं।
अन्य ध्वनि के अस्तित्व की कोई गुंजाइश नहीं थी।
ध्वनि तीव्र थी लेकिन मन और अस्तित्व को रमा देने वाली थी।
मैं तो अनायास ही वहां पहुंच गया था।
बल्कि वानर की तरह दिखने वाला मानव प्राणी।
मुझे जबरन उधर ले गया था।
वहां सभी नृत्य कर रहे थे उस ध्वनि के साथ।
सभी के सिर पर स्वर्ण मुकुट थे।
सभी के शरीर से स्वर्णाभा युक्त प्रकाश निकल रहा था।
मैं उन की भीड़ में मिलकर उस ध्वनि में नृत्य करने लगता हूं।
मैं बोलने का प्रयास करता हूं, लेकिन उस संगीतमय ध्वनि के अलावा वहां किसी के अन्य ध्वनि लिए कोई गुंजाइश नहीं थी।