हर सरफरोश दुनिया में
अपना नाम अमर करना
चाहता है,
और इसलिए हम
खुद से पूछते हैं कि
क्या हमारे कारनामे
सदियों तक कहे जाएंगे?
क्या यह दुनिया
हमारे जाने के बाद
हमारा नाम याद रखेगी?
पूछा जाएगा कि
कौन थे हम?
और किस जूनुन तक
अपने जज्बातों से
मोहब्बत करते थे,
अपने उद्देश्यों के लिए
कैसी कशिश थी!
जब वो
मेरी कहानियां सुनाएंगे
तो कहेंगे,
उसने कितने महान कारनामे किए,
मौसम की तरह
लोग आते जाते रहेंगे,
लेकिन यह नाम
कभी नहीं मरेगा!
वो कहेंगे
मैं उस जमाने में रहा
वो यह भी कहेंगे कि
वह महान युग था!
आशीष कुमार
प्रवक्ता
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार