युवा मंडल
क्रांतिकारी युवाओं का संगठन
ईश्वर ने जब सृष्टि को बनाया तो इस सृष्टि को व्यवस्थित रूप देने के लिए एक प्राणी को बनाया जिसने उसको युवराज का नाम दिया। सोचा तो यह था कि यह प्राणी इसको ठीक प्रकार से क्रियान्वित करते हुए अंत्यंत सुंदर रूप देगा।परंतु, सभी जीव ठीक प्रकार से ईश्वर की व्यवस्था के अनुसार व्यवस्थित रहेंगे।हुआ भी यही। पंरतु ,जिस पर पूर्ण विश्वास किया, जिसको अलग से अनुदान-वरदान दिए ,उसने ही ईश्वरिय व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया ।जिसका परिणाम ऐसा निकला कि दूसरे प्राणी भी परेशान रहने लगे और स्वयं अत्यंत दुःखी और दरिद्र हो गया।चारो तरफ हाहाकर मच गया। इस प्राणी ने र्इश्वरीय सत्ता को नकार दिया। जिसका परिणाम मनुष्य स्वंय भुगत रहा है।इसमें सबसे ज्यादा घाटा मनुष्य का ही हुआ है। ठीक इसी प्रकार कि प्रत्येक माता-पिता जीवन जीने की एक ऐसी कल्पना करते हैं कि मेरी जो संतान होगी वह दूसरों से भिन्न सदाचारी और आज्ञाकारी होगी। हम उनको वह सब सुख सुविधाएं प्रदान करेंगे जो हमको नहीं मिल सकीं।हमारे बच्चे हमारा व समाज का नाम रोशन करेंगे।दूसरे सोचेगें की कितने शानदार बच्चे हैं। दूसरे उनका अनुसरण करेंगे।ये ही बच्चे बुढ़ापे में हमारा सभी प्रकार से ख्याल रखेंगे।जरा सोचो कि क्या ऐसा हो पाता है।नहीं, तब हम समझतें हैं कि वह क्या हुआ, सब बेकार रहा, ऐसा क्यों हुआ। जरा इस पर विचार करें। यदि हम चाहें कि शानदार जीवन जिएं। हमारा एक इतिहास हो।हमारे कार्य दूसरों का मार्गदर्शन करें तो हमें मनुष्य के तरीके से सोचना चाहिए।
मनुष्यता का गुण है कि हम अपने परिवार की तरह अपने समाज गांव व देश का ख्याल रखें। वसुदैव कुटुंबम्कम का सूत्र जीवन में उभारें। परंतु, हम, मैं और मेरे के चक्कर में रावण की तरह राक्षस प्रकृति धारण करके, मान मर्यादाओं को ताक पर रखकर अपने परिवार को सभी प्रकार की सुवधिाएं देने के उद्देश्य से प्रभुता और आदर्शो से नीचे गिर जाते हैं और रावण की तरह अपनी सोने की लंका बनाने की लालसा लेकर तरह तरह के वेष बदलकर दूसरों को बुरे से बुरा धोखा देने में चुकते नहीं हैं। यही नहीं,यदि समाज परिवार नष्ट होते हों या देश को कितना ही नीचा क्यों ना देखना पड़े। अपनी सोने की लंका बनाने का ख्याल पूरे जीवन में पाले रहते हुए पूरा जीवन नरपिशाच की तरह बिताते हैं और कल्पना करते हैं कि यह समाज हमको देव मानव की संज्ञा दे। जो कि यह असंभव है। समय-समय पर यह नरपशिाच नौजवानों को झूठे ख्यालों की आइना दिखाकर नशे, कुकर्मों व कुमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
इसलिए हमको आवश्यकता है ऐसी विचारधारा कि जो आने वाली युवा पीढ़ी जो देश का भविष्य है, उसको नरपिशाच हैवानों के चगुल से बचाकर मानवता के रास्ते पर लाने के लिए एक क्रांतिकारी विचारधारा जो युवाओं का मार्गदर्शन करे। उनको स्वस्थ व स्वाभिमानी बना सके और देश का गौरव ऊंचा कर सके। इसी क्रांतिकारी विचारधारा का नाम है युवा मंडल।
यह एक चिंतन का विषय है कि इस मानव को परमात्मा ने सभी गुणों अनुदान वरदान देकर भेजा है।वहीं,जीव आज दुखी दरिद्र का जीवन बिता रहा है।लेकिन, संवेदनशील मनुष्य का यह परम कर्तव्य बनता है कि इन मनुष्यों को मनुष्यता के रास्ते पर लाएं। जिससे यह प्राणी अपने जीवन में जन्म का महत्व समझकर कर्तव्य करें और आने वाले भविष्य का मानवीय आइना दूसरों को दिखा सकें।
इस क्रांतिकारी विचारधारा का नाम दिया है युवा मंडल, इसका प्रथम कार्य है स्वस्थ्य जीवन, स्वस्थ्य शरीर बिना स्वस्थ्य दिमाग के तैयार नहीं हो सकतां यदि हो भी गया तो ठहर नहीं सकता। तो स्वस्थ्य चिंतन के लिए आवश्यक है:
- स्वच्छ शाकाहारी भोजन
- स्वस्छ पर्यावरण
- सदविद्या
- सभ्य परिवार और समाज
जिसका परिणाम होगा प्रगतिशील, सभ्य और आदर्श देश
हम सब जानते है कि जैसा खाएंगे अन्न वैसा बनेगा मन