मेरा मुझसे मेरा सवाल है
मैं कौन हूं?
क्या
मेरा नाम ही मैं हूं?
क्या मेरा ज्ञान
ही मैं हूं?
क्या
मेरा मन ही मैं हूं?
क्या
मेरा अहं ही मैं हूं?
क्या
मेरा चित्त ही मैं हूं?
क्या मेरी असफलताएं मैं हूं?
क्या
मेरी सफलताएं मैं हूं?
क्या
मेरी बदनामी मैं हूं?
क्या
मेरी ख्याति मैं हूं?
क्या
मेरी दयालुता मैं हूं?
क्या मेरे अनुभव ही मैं हूं?
क्या
मेरे भाव ही मैं हूं?
क्या
मेरे सुख ही मैं हूं?
क्या
मेरे दुख ही मैं हूं?
क्या
मेरे संबंध ही मैं हूं?
नहीं,
मैं अजर, अमर अविनाशी
हूं
स्व में अधिष्ठित स्व अधिशासी हूं
परम ज्ञान
ज्योति से प्रकाशित
गूढ़ अंत:करण में
जो है विराजित
मैं द्रारिद्रय, दु:ख, भय से मुक्त
निष्पाप, संवेदना. तेज से
युक्त
दोष
पापादि से हूं सदा रिक्त
काल के आदि
स्वामी का हूं भक्त
मैं समस्त प्रतिभा का आदि कारण हूं
मैं शुभ योग पथ का
पथिक हूं
मैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश द्वारा प्रचारित
मैं आत्मा
हूं, जो हर जीव में विराजित
-
आशीष कुमार