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बुधवार, 29 अगस्त 2012

रेडियो जॉकियों द्वारा भाषा का चीरहरण

एफएम  का जाल, भाषायी बलात्कार
रेडियों जॉकियों ने हिंदी भाषा का कैसे दम निकाला है,, अश्लीललता का कैसा लेप चढाया जा रहा है। जरा देखिए - एक शो में उदघोषक साहब यानी जॉकी जनाब कुछ महिलाओं और बच्चों की प्रशंसा करते हुए कह रहे थे 'देखो इन्होंने अपराधियों की कैसे कह कर ली.' इन शब्दों के साथ वह उनकी पीठ थपथपा रहे है। दूसरा वाकया - एक सोनिया भाभी अपने श्रोताओं को ना जाने क्या क्या बांटती रहती है। तीसरा वाकया- सोच कभी भी आ सकती है। चौथा वाकया - कुछ किया तो डंडा हो जाएगा। पांचवा वाकया - एक लव गुरु रात में युवाओं का न जाने क्या क्या नुस्खे सिखाते रहते हैं। छठा वाकया - 'सोनिया भाभी की नीली है या लाल। नहीं नीली है मैने सुखाते वक्त देखा था।' इन रेडियों जॉकी में महिला उदघोषक भी शामिल रहती हैं, और कभी-कभी तो द्विअर्थी संवाद में दो कदम आगे। यदि आपके साथ परिवार का कोई मेंबर हैं और आपने गाडी में कोई एफएम चैनल टूयून कर लिया. जैसे ही आप इन रेडियो जॉकियों की अश्लील बकवास सुनेगें तो नैतिकता के नाते चैनल ही बदलना पडेगा। इनका कोई ऑफ कडक्ट नहीं है। शायद नियामक संस्थाएं भी चाय की चुस्की और पापडों के साथ इन संवादों के कुरकुरेपन का मजा ले रहे हैं।

आशीष कुमार
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
देव संस्कति विश्वविद्यालय, हरिद्वार