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शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

एमएलसी शिक्षक और स्नातक चुनाव से संबंधित बैठक

स्नातक और शिक्षक एमएलसी चुनाव को लेकर पाली और अतरौली पर भाजपा संगठन की बैठक आयोजित की गई। दोनों बैठकों में अध्यक्षता भाजपा जिला अध्यक्ष ऋषिपाल सिंह ने की। पाली में दादों, जिरौली और बिजौली मंडल की बैठक आयोजित की गई। अतरौली में अतरौली देहात, अतरौली नगर, जिरौली मंडल की बैठक आयोजित की गई। अतरौली बैठक में बोलते हुए जिलाध्यक्ष ऋषिपाल सिंह ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं को अधिक से अधिक मतदाताओं को बूथ तक लेकर आना है। मोदी और योगी सरकार के विकास कार्यों के आधार पर मतदाताओं को अपने पक्ष में करना है। बैठक में सांसद राजू भैया, हरिशंकर गौर, सत्या सिंह, धर्मेंद्र चौधरी, डॉ गोपाल महेश्वरी, उमेश राघव, गौरव शर्मा, जिला मीडिया प्रभारी आशीष कुमार, संतोष गुप्ता, पुष्पेंद्र सिंह, चोब सिंह, संजू यादव, रिंकू यादव आदि मौजूद रहे।

सोमवार, 29 जनवरी 2018

मां उमिया धाम, नागपुर

मां उमिया धाम मां पार्वती का भव्य मंदिर है। यह नापुर के रेलवे स्टेशन से भण्डारा रोड पर करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर पंचायतन शैली में बना हुआ है। इसकी स्थापत्य कला बहुत ही सुंदर है। मंदिर में शिव की अर्धागिंनी मां पार्वती की प्रतिमा मध्य में स्थित है। एक और भगवान शिव का प्रतीक शिवलिंग व उसके एकदम सामने भगवान राम और सीता की संयुक्त विग्रह लगा हुआ। हनुमान जी की प्रतिमा की प्रवेश द्वार के पास ही लगा हुई है। 
मंदिर में साउंड और लाइट की बहुत ही सुंदर व्यवस्था है। रात को मंदिर संगीत के साथ विभिन्न प्रकार की परिवर्तित होती लाइटों से प्रकाशित रहता है। बदलते प्रकाश के रंग लोगों के मन के बरबस अध्यात्म की तरफ खींच ले जाते हैं। यदि शाम के समय मंदिर दर्शन का कार्यक्रम बनाया जाए तो लाइट-साउंट इफैक्ट का आनंद लिया जा सकता है। 
मंदिर सार्वजिक यातायात व टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। बर्डी बस स्टैंड से पारडी के लिए बस मिलती है। वहां हर 10-15 मिनट में शेयरिंग ऑटो से मंदिर पहुंचा जा सकता है। रेलेवे स्टेशन से पहले पारडी जाना होगा वहां से ऑटो लेना होगा। 
नागपुर महाराष्ट्र की उपराजधानी है। यहां दिसंबर के माह में विधानसभा सत्र भी चलता है। जनवरी-फरवरी के महीने में यहां दिन का तापमान करीब 25 डिग्री सेल्सियस रहता है, जोकि पर्यटन के बहुत ही अनुकूल तापमान है।  फोटो - क्रांति आनंद, आशीष कुमार











गुरुवार, 18 जनवरी 2018

सपनों का सच

Devanshi sejwar


मेरे सपने मुझसे क्या कहते हैं
कभी मुझे डराते हैं,
कभी स्नेह दिलाते हैं।
बिछड़ों से मिलाते हैं,
कभी उनके लिए तड़पाते हैं।
सपनों में कभी राजा हूं,
कभी रंक हूं।
कभी उसके पास हूं,
कभी उससे दूर हूं।
उसको छूकर रोमांचित हो उठता हूं,
कभी दौड़ता कभी हांफता।
कभी दौड़ नहीं पाता,
कभी उसे पकड़ नहीं पाता हूं।
कभी डर को डरता है,
कभी उससे डर जाता हूं,
कभी उड़ता, छलांग लगता हूं।
सपनों में मेरी सफलताएं हैं,
मेरी कुंठाएं है, असफलताएं हैं।
कभी बचपन है, कभी बचपन की यादें।
कभी मेरी कलम है कभी परीक्षाएं हैं।
परीक्षाएं छूटती हैं, कलम खो जाती है।
कभी कलम चल नहीं पाती है।
उठकर सोचता हूं।
कलम और परीक्षाओं से,
काफी आगे निकल आया हूं।
ना अब बचपन है, न वो लोग हैं।
अब दौड़ है, सपनों के बोझ हैं।
मान-अपमान है, शक्ति है – असहाय हैं।
अब अहसास बदल गए हैं।
वो दौर निकल गए हैं।
सपने मुझे क्यों धोखा देते हैं।
भूत-भविष्य क्यों दिखाते हैं।
अब बस सोचते हैं,
सपनों को नकारते हैं।
क्या यही सच या सपना सच।
तो न यह सच न सपना सच है।
आओ जगकर, सच को तलाशते हैं।
सपनों से निकलकर, सत्य को पाते हैं।