बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

जिंदगी की कहानी


जिंदगी की कहानी
आसमान में उड़ते
पक्षी की तरह है!
पक्षी का पीछा करें,
तब भी आसमान में
पैरों के निशां नहीं मिलते,
पक्षी उड़ जाता है,
पीछे आकाश खाली रह जाता है,
जिंदगी में भी कहीं
कोई चिन्ह नहीं छुड़ते,
सब कुछ विस्मृत हो जाता है,
रह जाती हैं तो केवल यादें
जिंदगी तो
प्रमाण मांगती है
आज का!

आशीष कुमार 
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग 
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार 

मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

हर सरफरोश .........


हर सरफरोश दुनिया में
अपना नाम अमर करना
चाहता है,
और इसलिए हम
खुद से पूछते हैं कि
क्या हमारे कारनामे
सदियों तक कहे जाएंगे?
क्या यह दुनिया
हमारे जाने के बाद
हमारा नाम याद रखेगी?
पूछा जाएगा कि
कौन थे हम?
और किस जूनुन तक
अपने जज्बातों से
मोहब्बत करते थे,
अपने उद्देश्यों के लिए
कैसी कशिश थी!
जब वो
मेरी कहानियां सुनाएंगे
तो कहेंगे,
उसने कितने महान कारनामे किए,
मौसम की तरह
लोग आते जाते रहेंगे,
लेकिन यह नाम
कभी नहीं मरेगा!
वो कहेंगे
मैं उस जमाने में रहा
वो यह भी कहेंगे कि
वह महान युग था!

आशीष कुमार
प्रवक्ता 
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग 
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार