भारत विविधताओं का देश है। यह जुमला हिंदी
वर्णमाला के संबंध में भी लागू होता है। देश के विभिन्न हिस्सों में हिंदी
वर्णमाला को कई अंदाजों में पढ़ाया जाता है। एक अंदाज की यहां चर्चा की गई है।
इस प्रकार की वर्णमाला कुछ वर्ष पूर्व तक उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के प्राथमिक
विद्यालयों में सिखाई - बोली जाती थी, जिसे हमने भी सीखा।
कुछ भी हो, स्थानीय अंदाज में सीखना और आत्मसात करना
बेहद सरल होता है। भाषा में अपनापन होना चाहिए।
हिंदी वर्णमाला का देसी
अंदाज
क काजर
ख खीर
ग गइया
घ घास
ड. ड.गन
....
च चाची
छ छत
ज जमनी
झ झझड़
ञ ञेनक
....
ट ट्टू
ठ ठाकुर
ड डोर
ढ ढक्कन
ण अणानी
....
त तोता
थ थारी
द दवात
ध धनुष
न नानी
....
प पानी
फ फन
ब बकरी
भ भइया
म मामा
....
य यार
र रथ
ल लल्लू
व वक
...
स सवाल
श शीटी
ष पेट चीरा
ह हल
...
क्ष, त्र, ज्ञ
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प्रवाह में
काजर, खीर, गइया, घास,
ड.गन, चाची, छत, जमनी, झझड़, ञेनक, ट्टू, ठाकुर, डोर, ढक्कन, अणानी, तोता, थारी, दवात,
धनुष, नानी, पानी, फन, बकरी, भइया, मामा, यार, रथ, लल्लू, वक, सवाल, शीटी, पेट
चीरा, हल, क्ष, त्र, ज्ञ ।
ऑडियो सौजन्य - रामा देवी