AKHAND BHARAT |
सुना है मेरे देश का इतिहास बड़ा महान
सोने की चिड़िया था लोग थे बडे सुजान
घर-घर पैदा
होते थे कृष्ण और राम
नारियां पूजी जाती
थी देवी के समान
ना वर्ग भेद
था, ना जाति असमान
ना
नर-नारी भेद, था अधिकार समान
प्रजा
सेवा था राजा का कर्म प्रधान
सत्य और अहिंसा थे सबकी आन-बान
तकनीक से परिपूर्ण था हमारा विज्ञान
आसमान में उड़ा करते थे पुष्पक विमान
ग्रह, नक्षत्र, ज्योतिष का था पूर्ण
ज्ञान
सभी साक्षर
थे पूर्ण वेद
ज्ञानवान
अब मेरे राष्ट्र
को क्या हो गया है
वह प्राण,
स्वाभिमान कहां खो गया है
राजनीति से जन सेवा लोप हो गया है
निज
हित ही उद्देश्य प्रधान हो गया है
धर्म मार्गदर्शक
से उद्योग हो गया है
मौलानाओं की कट्टरता श्रृंगार हो गया
है
राजनेता, उद्य़ोगपति, मालामाल हो गया है
रोटी की जुगाड़ में आम चूर-चूर हो गया है
अब
बस, जो होना सो हो गया
आत्मगौरव
को पुन: पाना होगा
उल्टे को उलटकर सीधा करना होगा
भारत को विश्व का सिरमौर बनेगा
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आशीष कुमार