सोमवार, 30 जुलाई 2018

up lt grade 2018 expected cut off


इस बार का एलटी ग्रेट बाॉयलॉजी का पेपर थोड़ा हार्ड रहा है। सभी संभावनाओं का आकलन करते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार एलटी ग्रेट बायोलॉजी की कटऑफ निम्नानुसार रहेगी।

जनरल - 90-100 अंक
ओबीसी 80-90
एससी-एसटी 70-80
पीएच - 60-70 अंक

शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

भारत में बिजनेस पत्रकारिता




विकसित होते भारत में आर्थिक पत्रकारिता विशेष महत्व रखती है। आर्थिकपत्रकारिता शब्द में दो शब्द हैंआर्थिक और पत्रकारिता। आर्थिक का संबंध अर्थशास्त्र से है। अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों धन और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है।
अर्थशास्त्र की बहुत शुरुआती परिभाषाओं में एक परिभाषा एल रोबिंस ने दी हैअर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जो मानवीय व्यवहार का अध्ययन उन साध्यों और सीमित साधनों के रिश्ते के रुप में करता है, जिनके वैकल्पिक प्रयोग हैं। संसाधन सीमित हैं, उनके किस प्रकार के प्रयोग संभव हैं। उन संसाधनों से किस प्रकार अधिकतम आउटपुट कैस प्राप्त किया जा सकता है। इसी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर अर्थशास्त्र के अंतर्गत ढूंढा जाता है। अर्थशास्त्र के बारे में उन विद्वानों ने भी लिखा है, जो मूलत अर्थशास्त्री नहीं थे। प्रख्यात नाटककार और व्यंग्यकार बर्नार्ड शा ने लिखा हैअर्थशास्त्र जीवन से अधिकतम पाने की कला है।
अर्थशास्त्र में उत्पादन के विभिन्न तत्वों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। उत्पादन के महत्वपूर्ण तत्व हैं भूमि या प्राकृतिक संसाधन, जैसेखनिज, कच्चा माल, जो उत्पादन में प्रयुक्त होते हैं। श्रम यानी वह मानवीय प्रयास जो उत्पादन में प्रयुक्त होते हैं। इनमें मार्केटिंग और तकनीकी विशेषज्ञता शामिल है। पूंजी, जिससे मशीन,फैक्टरी इत्यादि खड़ी की जाती है। कारोबारी प्रयास, जिनके चलते शेष सारे तत्व काराबोर को संभव बनाते हैं।
इस लिहाज से आर्थिक पत्रकारिता को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि आर्थिक या बिजनेस पत्रकारिता का अर्थ उस पत्रकारिता से है, जिसमें व्यापार, वाणिज्य जैसी तमाम आर्थिक गतिविधियों की जानकारी विभिन्न संचार माध्यमों के जरिए पाठकों, दर्शकों, श्रोताओं तक पहुंचायी जाती है। आर्थिक पत्रकारिता करने के लिए आर्थिक गतिविधियों और शब्दावलियों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
यदि किसी जनसंचार के विद्यार्थी को बतौर पत्रकार आर्थिक पत्रकारिता करनी है  तो आर्थिक शब्दों तकनीकी जानकारी होना बहुत जरूरी है। अर्थजगत में प्रत्येक आर्थिक गतिविधि से जुड़े शब्द का एक विशेष महत्व होता है। ऐसे शब्दों को समझे बगैर, न तो सही तरह से पत्रकारिता हो सकती है और न ही लेखक पाठकों को ठीक से समझा सकता है। आर्थिक पत्रकारिता करने से पहले आर्थिक शब्दालियों का आत्मसात करना बहुत जरूरी है। साथ ही हिन्दी में आर्थिक और बिजनेस पत्रकारिता करने के लिए यह आवश्यक है कि सही ढंग से अंगे्रजी का हिंदी में अनुवाद करना भी आना चाहिए।  क्योंकि हिन्दी  ख़बर लिखने के लिए जो भी सामग्री मिलती है, वह आम तौर पर अंगे्रजी में ही होती है,इसलिए अगर आप डेस्क के साथ-साथ रिपोर्टिंग भी कर रहे हों, तो अनुवाद से साबका आपका होगा ही। ऐसे में, अंगे्रजी जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है। अनुवाद करते वक्त इस बात का भी ध्यान रखना पड़ेगा कि शब्दश: अनुवाद न हो और भावानुवाद को महत्व दिया जाए। जटिल शब्दों को सरल शब्दों में लिखना ही आर्थिक पत्रकारिता की सही पहचान है। हां, अनुवाद करते वक्त अगर कोई कठिन तकनीकी शब्द आ जाए, तो बेहतर यही होगा कि उस शब्द को अंगे्रजी में ही जाने दें, ताकि अर्थ का अनर्थ न हो।
अनुवाद किसी भी दृष्टि से अनुवाद न लगे। पढ़ने वाले को यह एहसास हो कि जिस ख़बर को वह पढ़ रहा है, वह मूल रूप से हिंदी में ही लिखी गई है। वैसे, अनुवाद करना भी एक कला है और यह कला नियमित अभ्यास के जरिए ही आत्मसात की जा सकती है, बशर्ते कि हर शब्द का सही अर्थ लेखक जानता और समझता हो। अनुवाद तभी सही तरह से पठनीय होता है, जब पत्रकार एक भाषा से दूसरी भाषा की आत्मा को समझे। अगर मूल पाठ को समझने में कोई दिक्कत हो, तो अर्थ का अनर्थ होने का ख़तरा सौ प्रतिशत बना रहता है।
आर्थिक पत्रकारिता करने वाले लोगों को यह समझने की कोशिश भी करनी चाहिए कि आखिर किसी खास क्षेत्र के बजट में अगर सरकार बेतहाशा वृद्धि कर रही है, तो उसकी असली वजह क्या है? यहां यह जानना और लोगों को समझाना भी जरूरी होता है, क्योंकि ऐसी ब़ढोत्तरी के लिए सरकार कुछ और तर्क देती है, लेकिन पर्दे के पीछे की सच्चाई कुछ और ही होती है।
आर्थिक पत्रकारिता करने वालों को इस बात से भी वाकिफ होना चाहिए कि भले ही एक तरफ देश में विदेशी मुद्रा भंडार और अरबपतियों की संख्या ब़ढ रही हो, लेकिन दूसरी ओर एक ब़डा वर्ग ऐसा भी है, जो दिनोंदिन और, और गरीब होता जा रहा है। समाज में चौतरफा फैल रही विषमता के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार आर्थिक गैरबराबरी ही है। दरअसल, आर्थिक असमानता की वजह से ही समाज में जीवनशैली, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास के अलावा, कई बुनियादी मोर्चों पर गैरबराबरी ब़ढ रही है। इन सभी मुद्दों पर लिखते वक्त हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि कहीं हम पूंजीपतियों की जी हुजूरी में तो नहीं लग गए हैं। दरअसल, हमें लिखते वक्त यह ध्यान भी रखना होगा कि आर्थिक गैरबराबरी की वजह से ही राज और समाज में कई तरह की विषमता फैलती है।

विश्व में भारतीय युवाओं की स्थिति, बहुत अच्छी नहीं




वैश्विक युवा विकास सूचकांक में भारत का 133 वां स्थान
भारत युवा शक्ति के आधार विश्व शक्ति बनने का सपना देखता है, लेकिन राष्ट्रमंडल सचिवालय द्वारा जारी की गई वैश्विक युवा विकास सूचकांक -2016 की सूची भारत में युवाओं की अच्छी स्थिति नहीं बता रही है।
राष्ट्रमंडल सचिवालय द्वारा जारी किए गए वैश्विक युवा विकास सूचकांक-2016 में 183 देशों की सूची में भारत को 133 वां स्थान प्राप्त हुआ है। यह सूची युवाओं की शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य व सामाजिक-राजनीतिक भागीदारी जैसे मानकों के आधार पर तैयार की गई है। इस सूची में भारत को अपने पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान व श्रीलंका से भी नीचे स्थान प्राप्त हुआ है। इस सूची के मुताबिक नेपाल 77 वें, भूटान 69 वें और श्रीलंका 31 वें स्थान पर हैं।
इस समय दुनिया में युवाओं (15-29 वर्ष) की संख्या 1.8 अरब है। भारत में विश्व के कुल युवाओं की करीब 20 फीसदी आबादी निवास करती है। इस समय देश में युवाओं की कुल संख्या 34.5 करोड़ है।

मीडिया और युद्ध का बाजार




मीडिया युद्ध और हिंसा बेचता है, इस वाक्य को सुनकर किसी को अटपटा लग सकता है, लेकिन यह एक हकीकत है। रोजना की खबरों में इस हकीकत को कोई भी ढूंढ़ सकता है। भारतीय मीडिया का एक बड़ा तबका पाकिस्तान या चीन के साथ सरहदी तनाव के मसले पर कवरेज करते समय बेहद आक्रमकता दिखाता है। बात-बात पर वह आक्रमण की सलाह देने से भी नहीं चूकता है। सवाल यह है कि आखिर मीडिया युद्ध छेड़ने की मुहिम चलता क्यों हैं? मीडिया में प्रचलित युद्ध शब्दावलियों के पीछे कौन से कारक हैं, उनका क्या मनोविज्ञान है? क्या इसके पीछे उनके आर्थिक हित जुड़े हुए हैं?
नब्बे के दशक के शुरूआती दौर में अमेरिकी सीएनएन चैनल ने खाड़ी युद्ध दिखाकर भारतीय बाजार में दस्तक दी थी। इसकी कवरेज ने युद्ध को सीधे लोगों के बेडरूम तक पहुंचा दिया था। दर्शकों ने मशीनगनों से निकलती गोलियों की तड़तड़ाहट व बम बरसाते टैंकों को घर बैठकर टीवी सेटों पर देखा। फिल्मों में दिखायी जाने वाली काल्पनिक हिंसा और युद्ध को सीएनएन ने उन्हें पहली बार हकीकत में दिखाया था। दर्शकों के लिए यह बेहद रोमांचित करने वाला अनुभव था। इस युद्ध की ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार लोगों की नजर में असल जिंदगी के हीरो बन गए। साथ ही, इस युद्ध कवरेज ने मीडिया संस्थानों को युद्ध के जरिए पैसा कमाने की नई कारगर थ्योरी भी दी।
अमेरिका के विलियम रेंडोल्फ हर्स्ट को पीत पत्रकारिता के साथ युद्ध उन्मादी पत्रकारिता का जनक कहा जाता है। अमेरिका में पत्रकारिता के विकास में उनका बड़ा योगदान रहा। उन्होंने 19वीं सदी के अंत से लेकर 20वीं सदी के मध्य तक अमेरिका की पत्रकारिता को एक नई पहचान दी। वर्ष 1887 में उनको अपने पिता से द सेन फ्रांसिसको एग्जामिनर अखबार का करोबार विरासत में मिला था। बाद में वे सेन फ्रांसिस्को से न्यूयार्क आ गए।
न्यूयार्क शहर आने पर विलियम हर्स्ट ने जाने-माने अखबार द न्यूयार्क जनरल खरीद को लिया। लेकिन वहां वे जोसेफ पुलित्जर के अखबार द न्यूयार्क टाइम्स के साथ सर्कुलेशन की प्रतिस्पर्धा में फंस गए। सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए उन्होंने पीत पत्रकारिता से भी गुरेज नहीं किया। वर्ष 1898 में अमेरिका व स्पेन की बीच हुए युद्ध को उन्होंने लोगों के सामने सनसनी बनाकर पेश किया। अखबार की बिक्री बढ़ाने के लिए कुछ युद्ध की घटनाओं को तो शून्य से ईजाद कर दिया, जिनका जमीनी हकीकत से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने युद्ध के रोमांच और हिंसा को अखबारी करोबार के मुनाफे में बदल दिया  था। हालांकि इसके लिए उन्हें अलोचनाओं का भी समाना करना पड़ा। 

लेख मीडिया चरित्र में विस्तार के साथ प्रकाशित है। इसे पढ़ने के लिए 

अमेजन पर मीडिया चरित्र 

हिन्दी बुक पर ऑनलाइन मीडिया चरित्र 

बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

कांग्रेस के अधिवेशन

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन
-    इंडियन नेशनल कांग्रेस का पहले नाम इंडियन नेशनल यूनियन था।
-    सुरेन्द्र नाथ बनर्जी कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में शामिल नहीं हुए थे।
1.       प्रथम अधिवेशऩ
1885
मुंबई
व्योमेश चंद्र बनर्जी
72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
2.       दूसरा अधिवेशऩ
1886
कलकत्ता
दादा भाई नौरोजी

3.       तीसरा अधिवेशन
1887
मद्रास
सैय्यद बदरूद्दीन तैय्यब
प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष
4.       चौथा अधिवेशन
1988
इलाहाबाद
जार्ज यूल
प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष
5 . पांचवा अधिवेशन
1889
मुंबई
विलियम वेंडरबर्न
1.       कांग्रेस ने अपनी एक समिति ब्रिटिश इंडिया कमेटी का गठन किया।
2.       पहली बार महिला सदस्यों ने भाग लिया, जिनमें एक कादम्बिनी गांगुली थीं।

6 . छठा अधिवेशन
1890
कलकत्ता
सर फिराज मेहता

7 . सांतवा अधिवेशन
1891
नागपुर
पी आनंद चारलू
1.       कांग्रेस का नारा राष्ट्रीयता बोला गया। 
8.  आठवां अधिवेशन
1892
इलाहाबाद
व्योमकेश चंद्र बनर्जी
1.       यह सेशन पहले इंग्लैंड में प्रस्तावित था।


9. नवां अधिवेशन
1893
लाहौर
दादा भाई नौरोजी
1.       इसमें सिविल सेवा परीक्षा भारत में करवाने का प्रस्ताव रखे गया।
10.

1894
मद्रास
अल्फ्रेड वेब

11.
1895
पुणे
सुरेन्द्र नाथ बनर्जी

12.
1896
कलकत्ता
रहमतुल्ला एम सयानी
1.       दादाभाई नौरोजी की थ्योरी ड्रेन ऑफ वेल्थ को स्वीकार किया गया।
2.       1867 में ड्रेन ऑफ वेल्थ थ्योरी आई थी।
13.
1997
अमरावती
सी. सी. शंकर नायर

14.
1898
मद्रास
आनंद मोहन बोस

15.

1899
लखनऊ
रोमेश चंद्र दत्त

16.
1900
लाहौर
सर नारायण गणेश चंद्रावरकर

17.

1901
कलकत्ता
सर दिनशॉ इदुल्ली वाचा
1.       महात्मा गांधी पहली बार कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए।
18.
1902
अहमदाबाद
सुरेन्द्रनाथ बनर्जी

19.
1903
मद्रास
लाला मोहन घोष

20.
1904
मुंबई
सर हेनरी कॉटन
1.       मोहम्मद अली जिन्ना से इसमें पहली बार शामिल हुए।
21.
1905
बनारस
गोपाल कृष्ण गोखले
1.       स्वदेशी आंदोलन को समर्थन दिया गया।
2.       बंगाल विभाजन के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया।
3.       गोपाल कृष्ण गोखले को विपक्ष के नेता की उपाधि दी गई।
22.
1906
कलकत्ता
दादा भाई नौरोजी
1.       इसमें स्वदेश शब्द का पहली बार प्रयोग किया गया।
2.       मोहम्मद अली जिन्ना सचिव के रूप में अधिवेशन में शामिल हुए।
23.
1907
सूरत
रास बिहारी बोस
1.       कांग्रेस का प्रथम विभाजन हुआ।
2.       कांग्रेस नरम दल और गरम दल में विभाजित हो गई।
24.
1908
मद्रास
रास बिहारी बोस
-    कांग्रेस संविधान का निर्माण
25.
1909
लाहौर
मदन मोहन मालवीय

26.
1910
इलाहाबाद
विलियम वेंडरबर्न

27.
1911
कलकत्ता
पंडित बिशन नारायण दर
1.       राष्ट्रगान पहली बार गाया गया।
2.1912 तत्वबोधिनी पत्रिका में राष्ट्रगान भारत भाग्य विधाता शीर्षक से प्रकाशित हुआ।
28.
1912
बांकीपुर
राम बहादुर रघुनाथ नरसिम्हा
1.       इसमें एओ ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया।
29.
1913
करांची
नवाब सैय्यद मोहम्मद बहादुर

30.
1914
मद्रास
भूपेन्द्र नाथ बोस

31.
1915
मुंबई
लार्ड सत्येन्द्र प्रसन्ना सिन्हा
लार्ड वेलिंग्टन ने हिस्सा लिया।
32.
1916
लखनऊ
अंबिका चरण मजमूदार
1.       गरम दल और नरम दल के बीच लखनऊ पैक्ट हुआ।
2.        स्वराज मेरा  जन्म सिद्ध अधिकार बाल गंगाधर तिलक ने बोला
3.       मुस्लिम लीग से समझौता
33.
1917
कलकत्ता
एनी बेसेंट
1.       तिरंगे को कांग्रेस द्वारा झंडे के रूप में स्वीकार किया।
2.       प्रथम महिला अध्यक्ष





पहला विशेष अधिवेशन
1918
मुंबई
(विशेष सत्र)
सैय्यद हसन इमाम
1.       मौलिक अधिकारों की बात की गई।
2.       रोलेक्ट एक्ट (काला एक्ट) पर विचार करने के लिए अधिवेशन बुलाया गया।
3.       कांग्रेस का दूसरा विभाजन
34.
1918
दिल्ली
मदन मोहन मालवीय

35.
1919
अमृतसर
पंडित मोतीलाल नेहरू
1.       खिलाफत आंदोलन को समर्थन देने की बात कही गई।
2.       जलियावाला बाग हत्याकांड की निंदा की कई।
36.
1920
नागपुर
सी विजय राघवाचारी
1.       भाषा के आधार पर प्रांतों की बात कही गई।
2.       प्रोविन्सिस को लेकर कांग्रेस ने अपनी नीति रखी।
3.       कांग्रेस संविधान में परिवर्तन
विशेष अधिवेशन
1920
कलकत्ता
लाला लाजपत राय
1.       गांधी ने असयोग आंदोलन का प्रस्ताव रखा
37.
1921
अहमदाबाद
हकीम अजमल खान

38.
1922
गया
देशबंधु चितरंजनदास
1.       स्वराज पार्टी की घोषणा की।
39.
1923
काकीनाड़ा
मोहम्मद अली
1.       कामरेड समाचार पत्र का संपादन किया गया।
विशेष अधिवेशन
1923
दिल्ली
(विशेष सत्र)
मौलाना अबुल कलाम आजाद
1.       सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने
40.
1924
बेलगाम
महात्मा गांधी
1.       पहली बार गांधी अध्यक्ष बने
41.
1925
कानपुर
सरोजिनी नायडू
1.       पहली बार किसी भारतीय महिला ने अध्यक्षा की।
2.       पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव लाया गया, लेकिन पास नहीं हुआ।
42.
1926
गुवाहाटी
श्रीनिवासन अय्यंगर
-    खादी पहनना अनिवार्य कर दिया।
43.
1927
मद्रास
डॉ. एम. ए. अंसारी
-    पूर्ण स्वाधीनता की मांग।
-    साइमन कमीशन का विरोध किया गया।
44.
1928
कलकत्ता
पंडित मोती लाल नेहरू
-    नेहरू रिपोर्ट को स्वीकारने की बात कही गई।
45.
1929-30
लाहौर
पंडित जवाहर लाल नेहरू
-    पूर्ण स्वराज को के प्रस्ताव को पास किया गया।
-    रावी नदी के किनारे तिरंगा फहराया गया।
46.
1931
कराची
सरदार बल्लभ भाई पटेल
-    मौलिक अधिकारों की मांग की गई
-    इकोनॉमिक पॉलिसी की बात कही गई।

47.
1932
दिल्ली
अमृत रणछोड दास सेठ

48
1933
कलकत्ता
नलिनी सेन गुप्ता

49.
1934-35
मुंबई
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

50.
1936
लखनऊ
जवाहर लाल नेहरू

51.
1936-37
फैजपुर
जवाहर लाल नेहरू
गांव में आयोजित पहला कांग्रेस अधिवेशन
52.
1938
हरिपुरा
सुभाष चंद्र बोस
नेशनल प्लानिंग कमेटी की बात कही गई, अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू बने।
रजवाडों का शामिल किया गया।
53.
1939
त्रिपुरी (जबलपुर)
सुभाष चंद्र बोस/राजेन्द्र प्रसाद  

54.
1940-46
रामगढ़
मौलाना अबुल कलाम आजाद

55.
1946
मेरठ
जेबी कृपलानी
आजादी के समय अध्यक्ष
56.
1948-49
जयपुर
पट्टाभि सीतारमैय्या

57.
1950
नासिक
पुरूषोत्तमदास टंडन


-    सबसे पहले पूर्ण स्वतंत्रता की मांग हसरत मुहानी ने की थी सन 1921।
-    1906 में तिरंगा झड़ा कांग्रेस ने कलकत्ता पारसी बगान में फहराया था।
-    कांग्रेस के प्रथम सचिव एओ ह्यूम। इन्हें हरमिट ऑफ शिमला भी कहा जाता है। इन्होंने लोकमित्र नाम की पत्रिका भी निकालते हैं।
-    एओ ह्यूम को भारत में पक्षी विज्ञान का जनक भी कहा जाता है।