मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

हर सरफरोश .........


हर सरफरोश दुनिया में
अपना नाम अमर करना
चाहता है,
और इसलिए हम
खुद से पूछते हैं कि
क्या हमारे कारनामे
सदियों तक कहे जाएंगे?
क्या यह दुनिया
हमारे जाने के बाद
हमारा नाम याद रखेगी?
पूछा जाएगा कि
कौन थे हम?
और किस जूनुन तक
अपने जज्बातों से
मोहब्बत करते थे,
अपने उद्देश्यों के लिए
कैसी कशिश थी!
जब वो
मेरी कहानियां सुनाएंगे
तो कहेंगे,
उसने कितने महान कारनामे किए,
मौसम की तरह
लोग आते जाते रहेंगे,
लेकिन यह नाम
कभी नहीं मरेगा!
वो कहेंगे
मैं उस जमाने में रहा
वो यह भी कहेंगे कि
वह महान युग था!

आशीष कुमार
प्रवक्ता 
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग 
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार

रविवार, 2 सितंबर 2012

मीडिया में लाभ कमाने की ऐनकेन प्रकारेण तकनीक

मीडिया मे ऐनकेन प्रकारेण लाभ कमाने की तकनीक, विशेषकर इलैक्ट्रोनिक मीडिया में। संपादकों को ही चैनल का बिजनेस हेड भी बना दीजिए। संपादक को दो जिम्मेदारियां दीजिए, संपादन और अधिक से अधिक से लाभ कमाकर देना। अधिकांश राष्ट्रीय चैनलों में यही हो रहा है। आप तो जानते  ही हैं लाभ का रास्ता समझौतों से होकर गुजरता है, तो ऐसे में संपादक किन चीजों के साथ समझौता करेगा यह सब भी आसानी से समझा जा सकता हैं यानि समाचारों की निष्पक्षता के साथ। कहां तक बचेगा बेचारा। मालिक को अधिक से अधिक लाभ कमाकर जो देना है।

आशीष कुमार
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार
09411400108

शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

कोयले का सियासी हंगामा और पत्रकारिता का चरित्र

कोयले का सियासी हंगामा
कोयला ब्लॉक आबंटन में हुई अनियमिताओं को लेकर पेश की गई कैग की रिपोर्ट के बाद  सियासी गलियारों में तूफान आया हुआ है। पक्ष व विपक्ष इस घमासान के बीच 2014 के आम चुनावों को ध्यान में रखकर एक दूसरे पर आक्रमण करने में लगे हुए हैं। आरोपी नेतृत्व की अध्यक्षा भी जबरदस्त आक्रमकता के साथ काउंटर अटैक कर रही हैं। अपने पार्टी के लोगों से आक्रमकता के साथ मोर्चा संभालने का आह्वान कर रही हैं। विपक्ष को लोकतंत्र और संसद की गरिमा का भान कराया जा रहा है। संसद गतिरोध के लिए उसे कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। वहीं, बीजेपी जैसे-तैसे मिले मुद्दे को पूरी तरह भूनाना चाहती है। सब औपचारिक नियम कायदों को ताक पर रखकर  2014 पर टकटकी लगाए कोई कसर नही छोड़ना नहीं चाहाते हैं।
लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि इन सबके बीच पत्रकारिता का राजनैतिक चरित्र भी स्पष्ट हो रहा है। पता चल रहा है किस अखबार का किस पार्टी की ओर झुकाव है। कौन अखबार का मालिक व संपादक किस पार्टी के फेवर में कैंपेनिंग कर रहे हैं। निष्पक्षता व पत्रकारिता के उसूलों की बारीक लाइन को किस प्रकार लांघा जा रहा है।
 आप अलग-अलग राष्ट्रीय मीडियां ग्रुपों के चार अखबार रख लीजिए और स्वस्थ समीक्षा कीजिए। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। कोई आंख मूदकर आरोपियों के पाले में खड़ा नजर आएगा तो कोई विपक्ष के साथ कंधा मिलाए। कई समाचार माध्यम खुले तौर पर कैग की रिपोर्ट का समर्थन कर रहे है। वहीं,  कुछ माध्यम स्वयं घोषित विशेषज्ञ बन कैग की रिपोर्ट की जबरन कमियां निकाल रहे हैं। कोई भ्रष्टाचार के मुद्दे को गौण बना संसद संचालन के गतिरोध में किसी पार्टी को विलेन बनाने में लगा हुआ है। वहीं, दूसरा मीडिया समूह पक्षपाती मानसिकता से सने नजर आने वाले समूहों से टीवी पर खुली चर्चा करा रहा है। राष्ट्रीय हित को ताक पर पार्टियों की सत्ता की लिए खुली जंग में खुली हिस्सेदारी की जा रही है। बड़ी-ब़ड़ी बातें कर विद्वता झाड़ी जा रही है। लेकिन इन सबके बीज हैरान, परेशान, भ्रमित व चकराया हुआ नजर आ रहा है तो वह है पाठक, दर्शक व श्रोता।

हां, कुछ एक-दो राष्ट्रीय अखबार अपनी भूमिका निष्पक्ष तरीके से निभा रहे हैं। वे सभी इस साख संकट के दौर में प्रशंसा के पात्र हैं।

आशीष कुमार
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार
फोन – +919411400108

बुधवार, 29 अगस्त 2012

रेडियो जॉकियों द्वारा भाषा का चीरहरण

एफएम  का जाल, भाषायी बलात्कार
रेडियों जॉकियों ने हिंदी भाषा का कैसे दम निकाला है,, अश्लीललता का कैसा लेप चढाया जा रहा है। जरा देखिए - एक शो में उदघोषक साहब यानी जॉकी जनाब कुछ महिलाओं और बच्चों की प्रशंसा करते हुए कह रहे थे 'देखो इन्होंने अपराधियों की कैसे कह कर ली.' इन शब्दों के साथ वह उनकी पीठ थपथपा रहे है। दूसरा वाकया - एक सोनिया भाभी अपने श्रोताओं को ना जाने क्या क्या बांटती रहती है। तीसरा वाकया- सोच कभी भी आ सकती है। चौथा वाकया - कुछ किया तो डंडा हो जाएगा। पांचवा वाकया - एक लव गुरु रात में युवाओं का न जाने क्या क्या नुस्खे सिखाते रहते हैं। छठा वाकया - 'सोनिया भाभी की नीली है या लाल। नहीं नीली है मैने सुखाते वक्त देखा था।' इन रेडियों जॉकी में महिला उदघोषक भी शामिल रहती हैं, और कभी-कभी तो द्विअर्थी संवाद में दो कदम आगे। यदि आपके साथ परिवार का कोई मेंबर हैं और आपने गाडी में कोई एफएम चैनल टूयून कर लिया. जैसे ही आप इन रेडियो जॉकियों की अश्लील बकवास सुनेगें तो नैतिकता के नाते चैनल ही बदलना पडेगा। इनका कोई ऑफ कडक्ट नहीं है। शायद नियामक संस्थाएं भी चाय की चुस्की और पापडों के साथ इन संवादों के कुरकुरेपन का मजा ले रहे हैं।

आशीष कुमार
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
देव संस्कति विश्वविद्यालय, हरिद्वार

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

मीडिया का दम घोट रहीं प्राइवेट पार्टनरशिप

भारतीय मीडिया में प्राइवेट पार्टनरशिप

मीडिया विमर्श -

मीडिया नेट व प्राइवेट पार्टनरशिप का जाल देखिएगा, बैनेट एंड कोलमन ग्रुप की करीब 500 से ज्यादा कंपनियों मे हिस्सेदारी है। दैनिक भास्कर की करीब 100 प्राइवेट कंपनियों में हिस्सेदारी है। इस व्यवसाय में तमाम मीडिया ग्रुप अपने हाथ अजमा रहे हैं चाहे वह हिन्दुस्तान ग्रुप, नेटवर्क 18, सन नेटवर्क, एनडीटीवी या जी नेटवर्क हो। इसके लिए इन्होंने कई प्रकार की शब्दावलियों का भी अविष्कार किया है। इस प्रकार के व्यवसाय में विज्ञापन छापने के एवज में नकद रकम नहीं ली जाती है बल्कि उस कंपनी की हिस्सदारी ले ली जाती है। ऐसे में वह मीडिया ग्रुप उस कंपनी के कुछ प्रतिशत भाग का मालिक हो जाता है। मीडिया समूहों के द्वारा देश की छोटी कंपनियों के साथ इस प्रकार की डील करने में ज्यादा तरजीह दी जाती है। इस प्रकार का समझौता दस पांच पेज के कानूनी दस्तावेजों के साथ किया जाता है। समझौतों के साथ मीडिया कंपनी उस कंपनी को विज्ञापन व कई अन्य फंडों के जरिए व्यापार को बढावा देने का भरोसा भी दिलाती है। व्यापार की नजरिए से यह बेहद लाभदायक तरीका है। कंपनी के लाभ-हानि के साथ मीडिया ग्रुप की लाभ हानि भी जुडी होती है।
लेकिन पत्रकारिता की नजरिए से यह उसूलों और नैतिकता के खिलाफ है। यदि हमारा मीडिया उन कंपनियों के साथ जुडने से लाभ-हानि में तब्दील होता है तो पत्रकारिता की निष्पक्षता को खतरा हो जाता है। वह उन व्यक्तियों या कंपनियों के खिलाफ कभी खबर चलाने में कतराते हैं जिससे उन्हें सीधा नुकसान होता है। वर्तमान मीडिया में इस के प्रभावों को आसानी से देखा जा सकता है। अनेकों बार इन्हीं लाभ-हानि के डर से मीडिया में खबरें नहीं आ पाती है।
आश्चर्य की बात तो यह कि इस पर भारत में कहीं चर्चा देखते को नहीं मिलती है। सभी मीडिया घराने पत्रकारिता के उसूलों को ताक पर रख अधिक से अधिक लाभ के चक्कर में लगे हुए हैं। गजब की बात तो यह है कि ये मीडिया ग्रुप इन सबमें लिप्त होने के बावजूद अपने को पाक साफ सिद्ध करने में कोई कसर नही छोड़ते हैं। आवश्यकता है पत्रकारिता जगत में इस पर गंभीर और सार्थक बहस की जाए। चाहे सेल्फ रेगुलेशन के जरिए ही लेकिन इस हवस प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए तभी पत्रकारिता की गरिमा और विश्वास को जिंदा रखा जा सकता है। मीडिया रेगुलेशन संस्थाओं को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए।

आशीष कुमार
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, देवसंस्कति विश्वविद्यालय, हरिद्वार

सोमवार, 30 अप्रैल 2012

India vs China military

Map of China

China

 
 PERSONNEL

 Total Population: 1,336,718,015 [2011]
 Available Manpower: 749,610,775 [2011]
 Fit for Service: 618,588,627 [2011]
 Of Military Age: 19,538,534 [2011]
 Active Military: 2,285,000 [2011]
 Active Reserve: 800,000 [2011]


 LAND ARMY

 Total Land Weapons: 47,575
 Tanks: 7,500 [2012]
 APCs / IFVs: 7,700 [2012]
 Towed Artillery: 25,000 [2012]
 SPGs: 2,475 [2011]
 MLRSs: 2,600 [2011]
 Mortars: 1,050 [2011]
 AT Weapons: 1,250 [2011]
 AA Weapons: 750 [2011]
 Logistical Vehicles: 55,850

 AIR POWER

 Total Aircraft: 5,176 [2012]
 Helicopters: 632 [2012]
 Serviceable Airports: 502 [2011]


 RESOURCES

 Oil Production: 4,273,000 bbl/Day [2012]
 Oil Consumption: 9,189,000 bbl/Day [2012]
 Proven Reserves: 20,350,000,000 bbl/Day [2012]

 LOGISTICAL

 Labor Force: 815,300,000 [2012]
 Roadway Coverage: 3,860,800 km
 Railway Coverage: 86,000 km

 FINANCIAL (USD)

 Defense Budget: $100,000,000,000 [2011]
 Reserves of Foreign Exchange & Gold: $2,876,000,000,000 [2012]
 Purchasing Power: $10,090,000,000,000 [2011]

 GEOGRAPHIC

 Waterways: 110,000 km
 Coastline: 14,500 km
 Square Land Area: 9,596,961 km
 Shared Border: 22,117 km


 NAVAL POWER

 Total Navy Ships: 972
 Merchant Marine Strength: 2,012 [2012]
 Major Ports & Terminals: 8
 Aircraft Carriers: 1 [2012]
 Destroyers: 25 [2012]
 Submarines: 63 [2012]
 Frigates: 47 [2012]
 Patrol Craft: 332 [2012]
 Mine Warfare Craft: 52 [2012]
 Amphibious Assault Craft: 233 [2012]


Map of India




India 

 PERSONNEL

 Total Population: 1,189,172,906 [2011]
 Available Manpower: 615,201,057 [2011]
 Fit for Service: 489,571,520 [2011]
 Of Military Age: 22,896,956 [2011]
 Active Military: 1,325,000 [2011]
 Active Reserve: 1,747,000 [2011]


 LAND ARMY

 Total Land Weapons: 75,191
 Tanks: 5,000 [2011]
 APCs / IFVs: 3,000 [2011]
 Towed Artillery: 10,000 [2011]
 SPGs: 100 [2011]
 MLRSs: 292 [2011]
 Mortars: 5,000 [2011]
 AT Weapons: 51,799 [2011]
 AA Weapons: 15,508 [2011]
 Logistical Vehicles: 70,000

 AIR POWER

 Total Aircraft: 2,462 [2011]
 Helicopters: 848 [2011]
 Serviceable Airports: 352 [2011]


 RESOURCES

 Oil Production: 878,700 bbl/Day [2011]
 Oil Consumption: 2,980,000 bbl/Day [2011]
 Proven Reserves: 5,800,000,000 bbl/Day [2011]



Partial Sources: US Library of Congress; Central Intelligence Agency



 LOGISTICAL

 Labor Force: 478,300,000 [2011]
 Roadway Coverage: 3,320,410 km
 Railway Coverage: 63,974 km

 FINANCIAL (USD)

 Defense Budget: $36,030,000,000 [2011]
 Reserves of Foreign Exchange & Gold: $284,100,000,000 [2011]
 Purchasing Power: $4,060,000,000,000 [2011]

 GEOGRAPHIC

 Waterways: 14,500 km
 Coastline: 7,000 km
 Square Land Area: 3,287,263 km
 Shared Border: 14,103 km


 NAVAL POWER

 Total Navy Ships: 175
 Merchant Marine Strength: 324 [2011]
 Major Ports & Terminals: 7
 Aircraft Carriers: 1 [2011]
 Destroyers: 8 [2011]
 Submarines: 15 [2011]
 Frigates: 12 [2011]
 Patrol Craft: 31 [2011]
 Mine Warfare Craft: 8 [2011]
 Amphibious Assault Craft: 20 [2011]