सोमवार, 1 मई 2017

ASHISH KUMAR

-:समर्पण:-
प्रेम कब प्रतिभा के पंखों को उगा देता है
पता ही नहीं चलता।
यह कृति
समर्पित है करुणा की मूर्ति
मेरी दादी स्व. श्रीमती गुलाब कौर के चरणों में
जिनका स्नेह
इस सृजन की शक्ति बना।

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1 टिप्पणी:

Buy Contact Lenses ने कहा…

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